यूनिफाइड एमसीडी में वर्ष 2011 में 22 हजार से अधिक घोस्ट कर्मचारियों के द्वारा बिना काम किए वेतन लेने के चर्चित घोटाले के बाद अब दक्षिण निगम में इसी तरह का घोटाला सामने आया है। यह घोटाला भी उसी घोटाले से मिलता-जुलता है जिसमें निगम के कर्मचारियों से बिना काम लिए नेताओं के मदद से केवल अटेंडेंस लगवा कर वेतन भुगतान करने का मामला है।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार का घोटाला दक्षिण निगम के महापौर सुनीता कांगड़ा के वार्ड मादीपुर से आया है। इस घोटाले के सामने आने के बाद दक्षिण निगम में रविवार को हड़कंप मच गया । मामला निगम महापौर सुनीता कांगड़ा से जुड़ा होने के कारण भास्कर ने महापौर कांगड़ा के दोनों नंबरों, घर, स्थाई समिति अध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता से लेकर कई अधिकारियों से इस बारे में दक्षिण निगम का पक्ष जानने का प्रयास किया।
लेकिन नेताओं व अधिकारियों में से किसी अपना पक्ष नहीं रखा। सूत्रों की माने तो निगम के चतुर्थ और तृतीय श्रेणी के कर्मचारी अपने द्वितीय और प्रथम श्रेणी यानी कि आला अधिकारियों के साथ मिलकर निगम को हर महीने करोड़ों रुपये की चपत लगा रहे हैं। बहुत से कर्मचारियों को लाखों रुपये का भुगतान किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि इसकी जानकारी निगम के शीर्ष अधिकारियों को भी है। लेकिन वो भी बड़े नेताओं का देखते हुए कोई कार्रवाई करने से बच रहे हैं। क्योंकि अधिकारियों और कर्मचारियों की संाठ-गांठ में निगम में डेपुटेशन पर आए कई अधिकारियों के साथ ही सत्ता पक्ष के शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं।
इन वार्डों में बिना काम करवाए कर्मचारियों को दिया वेतन
पहला मामला दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के वार्ड 1.एस वेस्ट जोन का है। इस वार्ड में करीब एक दर्जन सीएफडब्लू और डीबीसी कर्मचारियों को बिना काम किये वेतन दिए जाने का मामला सामने आया है। अटेंडेंस रजिस्टर में पहले अबसेंट और बाद में कर्मचारियों की अटेंडेंस लगाकर उनके नाम पर पूरा वेतन उठाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि ऑफिसर रजिस्टर में अटेंडेंस का कॉलम खाली रखते हैं पर लेकिन बाद में लगा रहे अटेंडेंस लगा देते हैं। इसके बाद महीने के अंत में उनकी अटेंडेंस लगाकर उनका पूरा वेतन उठाकर आपस में बांट ली जाती है।
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