
गुड़गांव में कोरोना वायरस के फैलने की गति पिछले छह दिनों में ही गुड़गांव में 726 पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। इसके अलावा एक कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग की मौत हो चुकी है। वहीं अब तक गुड़गांव में 1063 पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। मात्र 14 हजार सेम्पल में से एक हजार से अधिक पॉजिटिव केस मिलने से पॉजिटिव केस रेश्यो बढ़कर 14 फीसदी के पार पहुंच चुका है।
इनमें 53 कोरोना योद्धा भी संक्रमित हो चुके हैं। लेकिन अस्पतालों की हालत ऐसी है कि अब कोरोना पेशेंट को एडमिट करने की बजाय होम क्वारेंटाइन करना ही मजबूरी बन गया है। गुड़गांव में 300 से अधिक पेशेंट को अब तक होम क्वारेंटाइन किया जा चुका है। वहीं सोशल मीडिया पर भी अब लोगों को सुझाव दिया जा रहा है कि वे अपना बचाव स्वयं करें, कोई बचाने वाला नहीं आएगा।
चिंता की बात है कि आम लोगों के लिए अब अस्पतालों में भी बेड नहीं बचे हैं
मंगलवार को गुड़गांव में कुल 160 नए संक्रमित मिलने के साथ ही जून महीने के दूसरे दिन ही कोरोना वायरस के 289 केस हो गए हैं। वहीं कोरोना योद्धा भी अब अछूते नहीं रह रहे हैं। जो रोडवेज कर्मचारी प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक छोड़ने गए थे, उनमें से मंगलवार तक सात कर्मचारी पॉजिटिव पाए जा चुके हैं, जिन्हें उनके गृह जिले में ही एडमिट कराया गया है।
एक कर्मचारी ने बताया कि रिपोर्ट तो नेगेटिव आई थी, लेकिन 14 दिन के होम क्वारेंटाइन किया हुआ है। वहीं गुड़गांव में 16 पुलिस भी पॉजिटिव हो चुके हैं और स्वास्थ्य कर्मी अब तक 30 संक्रमित पाए जा चुके हैं। जिससे कुल 53 कोरोना योद्धा अब तक दूसरों की सहायता करते हुए संक्रमित हो चुके हैं। ऐसे में चिंता की बात है कि आम लोगों के लिए अब अस्पतालों में भी बेड नहीं बचे हैं।
एक सप्ताह में 284 से 1063 हुए पॉजिटिव केस
गुड़गांव में 25 मई तक मात्र 284 पॉजिटिव केस थे। लेकिन एक सप्ताह में केस इतनी तेजी से बढ़े हैं कि 779 केस सामने आ चुके हैं। जहां 25 मई तक गुड़गांव में 193 पेशेंट रिकवर होकर डिस्चार्ज भी हो गए थे। लेकिन सात दिन में ही रोजाना 110 से औसतन केस सामने आए हैं, जिससे कुल संख्या बढ़कर 1063 हो गई और अब रिकवर नहीं होने से अस्पतालों के बैड भी फुल हो चुके हैं।
- नई पॉलिसी के तहत बिना लक्षण वाले पेशेंट को एडमिट करने की बजाय होम क्वारेंटाइन किया जा रहा है। जिससे ईएसआईसी अस्पताल में अब केवल 32 पेशेंट एडमिट हैं और 24 बैड खाली हैं। इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों में बैड खाली हैं, जहां गंभीर पेशेंट को एडमिट किया जा सकता है। दूसरे किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है। सभी का बेहतर इलाज किया जाएगा। -डा. जेएस पूनिया, सिविल सर्जन, गुड़गांव।
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