
राजधानी दिल्ली में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ती जा रही है। ऐसे में कोरोना से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों में बेडों की बड़ी संख्या में आवश्यकता है। पर अस्पतालों में बेडाें की संख्या को लेकर 20मई को दायर की पीआईएल से दिल्ली सरकार के पास बेडों की असली आंकड़ा सामने आने के बाद नेताओं की बयान बाजी तेज हो गई है। कोरोना जैसे संक्रमण के दौरान बेडों की व्यवस्था नहीं कर पाने को लेकर विपक्षी पार्टियों ने दिल्ली सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं।
डा. एन प्रदीप शर्मा व हर्ष कुमार शर्मा द्वारा फाइल की गई पीआईएल पर सुनवाई करते हुए न्यायधीश हीमा कोहली व सुब्रह्मण्यम प्रसाद ने दिल्ली सरकार से कहा है कि दिल्ली सरकार कोविड-19 के मरीजों के लिए बेडों की जांच कर उनकी समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करें। पीआईएल के मुताबिक दिल्ली सरकार के पास सभी अस्पतालों में कुल दिल्ली में कोविड के मरीजों के इलाज के लिए 3150 बेड ही है।
इन आंकड़ों को लेकर तूफान मचने के बाद दिल्ली सरकार का दावा है कि उन्होंने कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए 30 हजार बैडों की व्यवस्था की हुई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विज्ञापनों में दावा किया है कि कोविड-19 के मरीजों के लिए 30 हजार बेडों की व्यवस्था कर ली गई है। इसमें अस्पतालों में 8 हजार बेड, 12 हजार होटलों तथा 10 हजार बेड बैंकेट हॉल व धर्मशालाओं में बनाए गए हैं।
पीआईएल दाखिल करने वाले डा. एन प्रदीप शर्मा व हर्ष कुमार शर्मा ने दिल्ली सरकार के दावे को झूठ बताते हुए कहा है कि हकीकत कुछ और है। दिल्ली सरकार के लॉकडाउन-4 में कुछ ढील देने के बाद से राजधानी में कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ितों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में मरीजों को अस्पतालों में समुचित इलाज मुहैया नहीं हो पा रहा है। काफी संख्या में मरीज घर में ही क्वारंटाइन होकर इलाज करने को मजबूर है। ऐसे मरीजों की कोई सुध लेने वाला कोई नहीं है।
इन अस्पतालों में काेविड के मरीजों का चल रहा है इलाज
कोविड-19 के इलाज के लिए दिल्ली सरकार के सात अधिकृत अस्पतालों में सरकारी अस्पताल के तहत लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल (2000) बेड और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटीज हॉस्पिटल (500) और आरएमएल में 137 बेड में कोरोना का इलाज हो रहा है। वहीं प्राइवेट अस्पताल में सर गंगा राम हॉस्पिटल (42) बेड, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल (50) बेड, साकेत का मैक्स हॉस्पिटल (108) बेड, महा दुर्गा चैरिटेबल ट्रस्ट हॉस्पिटल (100) बेड और सर गंगाराम सिटी हॉस्पिटल (120) बेड शामिल है। इसके अलावा तीन और प्राइवेट अस्पतालों को मंजूरी दी गई है।
इसके अलावा 3 प्राइवेट अस्पतालों को को कोविड-19 के मरीजों को इलाज करने की अनुमित दी है। जिनमें शालीमार बाग का फोर्टिस हॉस्पिटल, रोहिणी का सरोज मेडिकल इंस्टीट्यूट और द्वारका का खुशी हॉस्पिटल शामिल है। सभी में 50.50 आइसोलेशन बेड हैं।
- दिल्ली सरकार ने सभी 117 निजी अस्पताल/नर्सिंग होम जिनके बिस्तर की संख्या 50 या उससे ज्यादा है। उनको 20 प्रतिशत बिस्तर कोविड-19 के मरीजों के लिए आरक्षित करने के आदेश दिए।
- अरविंद केजरीवाल हर रोज ही प्रेस कांफ्रेंस में यह बताते हैं कि हमने कोरोना से लड़ने को तैयार हैं लेकिन कभी भी कोरोना टेस्टिंग के आंकड़ों या अस्पतालों में बेड की सच्चाई उनके सामने नहीं रखते हैं। -श्याम जाजू, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाजपा ,दिल्ली प्रभारी,
- आज बेड की कमी के कारण लोग अपने घरों में ही रहने को मजबूर हैं जिसके कारण उनके परिवार के लोगों को भी संक्रमण का खतरा है,आम आदमी पार्टी सरकार की बुनियाद ही झूठ पर टिकी हुई है। अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है । उन्हें इस पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। -मनोज तिवारी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
- मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली की मरीजों से अधिक विज्ञापनों पर ध्यान दे रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों के टेस्ट नहीं हो रहे, उन्हें इलाज के लिए बेड तक उपलब्ध नहीं। मुख्यमंत्री की प्राइवेट अस्पतालों के साथ सांठ गांठ है, एक कोरोना संक्रमित मरीज के पांच-पांच लाख रुपए से अधिक चार्ज कर रहे है। -कुलजीत चहल, प्रदेश महामंत्री, भाजपा
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