
मुकेश कौशिक.‘लॉकडाउन खत्म होते ही बाल कटवाने हैं। अपने आपको पहचान नहीं पा रहा हूं। सिर पर हाथ जाता है तो लगता है फौज के अनुशासन की धज्जियां उड़ा रहा हूं।’ वायु सेना में ग्रुप कैप्टन रैंक के एक फायटर पायलट ने यह दर्द बयां किया तो लगा कि सैलून या नाई की दुकान अनिवार्य सेवाओं में होनी चाहिए। फौजी के मन की यह व्यथा गृह मंत्रालय के शनिवार को जारी स्पष्टीकरण में प्रकट नहीं होती, जिसमें साफ किया गया कि लॉकडाउन में सैलून या नाई की दुकान खोलने की अनुमति नहीं है।
15 लाख से अधिक जवानों-अधिकारियों वाली भारतीय फौज अपने जिस हेयरकट के लिए जानी जाती है, वह कोरोना संक्रमण के कारण गड़बड़ा गया है।
करीब 1800 बारबर शॉप या सैलून हैं, जो बंद करने पड़े
सेना की यूनिटों में करीब 1800 बारबर शॉप या सैलून हैं, जो बंद करने पड़े हैं। सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह भी आड़े आ रही है। नतीजा यह है कि लाॅकडाउन के 30 दिन बाद हर फौजी का हेयरकट वैसा नहीं रहा, जिसके लिए यह फौजीकट कहलाता है। कई जवान और अधिकारी तो इन यादों को सेल्फी के जरिए समेट रहे हैं और वाॅट्सएप ग्रुप्स या परिजन के साथ साझा कर रहे हैं।
फौजी के लिए बाल छोटे रखना अनिवार्य
जब फौजी ड्यूटी पर तैनाती के लिए यूनिट जाता है तो कम से कम 30 जरूरतें अनिवार्य तौर पर गिनाई जाती हैं। इनमें छोटे बाल रखना भी शामिल हैं। सेना की एड्जुटेंट ब्रांच इन नियमों को सख्ती से लागू करती है लेकिन, कोरोना की अभूतपूर्व स्थिति में इस शाखा ने भी लंबे होते बालों की तरफ से आंखें फेरना उचित समझा है।
फैसले लेने के अधिकार यूनिट के कमांडिंग अफसर को होते हैं
अधिकारी ने बताया कि विपरीत परिस्थितियों में फैसले लेने के अधिकार यूनिट के कमांडिंग अफसर को होते हैं। इस मामले में भी उनका फैसला अंतिम माना जा रहा है। मालूम हाे, मध्य प्रदेश के खरगाेन जिले में एक नाई से हेयरकट करवाने वाले छह लाेगाें को काेराेना हाेने का मामला सामने आ चुका है। नाई ने एक ही कपड़े का इस्तेमाल किया था।
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